दस लोगों मैं इतना दम था,
मेरे मुल्क को ललकारा थे।
सीना इसका छलनी करके,
भाग जाना इरादा था।
पर जीता वह जज़्बा था,
कामयाबी जीसका नारा था।
बाहरसे दस आए थे,
पर देश मैं बहुत सारे हैं।
रोज़ हमे ललकारे हैं,
छलनी सीना कर जातें हैं।
सच्च बोलूँ तोह मारे हैं,
अलग भाषा बोलूँ तोह मारे हैं।
जात पात के नामसे,
देश को वोह बाट रहें।
सरहद पारसे दस आयेंगे,
यह सोच हम घबरातें हैं।
घरके अंदर जो इतने हैं,
फिरभी उनको हम क्यों चुनते हैं।
धोका उनसे हम खातें हैं,
पर उनको ही हम चुनते हैं,
इसलिए
दस लोगो मैं इतना दम था,
मेरे मुल्क को ललकारा था।
मेरे मुल्क को ललकारा थे।
सीना इसका छलनी करके,
भाग जाना इरादा था।
पर जीता वह जज़्बा था,
कामयाबी जीसका नारा था।
बाहरसे दस आए थे,
पर देश मैं बहुत सारे हैं।
रोज़ हमे ललकारे हैं,
छलनी सीना कर जातें हैं।
सच्च बोलूँ तोह मारे हैं,
अलग भाषा बोलूँ तोह मारे हैं।
जात पात के नामसे,
देश को वोह बाट रहें।
सरहद पारसे दस आयेंगे,
यह सोच हम घबरातें हैं।
घरके अंदर जो इतने हैं,
फिरभी उनको हम क्यों चुनते हैं।
धोका उनसे हम खातें हैं,
पर उनको ही हम चुनते हैं,
इसलिए
दस लोगो मैं इतना दम था,
मेरे मुल्क को ललकारा था।