दस लोगों मैं इतना दम था,
मेरे मुल्क को ललकारा थे।
सीना इसका छलनी करके,
भाग जाना इरादा था।
पर जीता वह जज़्बा था,
कामयाबी जीसका नारा था।
बाहरसे दस आए थे,
पर देश मैं बहुत सारे हैं।
रोज़ हमे ललकारे हैं,
छलनी सीना कर जातें हैं।
सच्च बोलूँ तोह मारे हैं,
अलग भाषा बोलूँ तोह मारे हैं।
जात पात के नामसे,
देश को वोह बाट रहें।
सरहद पारसे दस आयेंगे,
यह सोच हम घबरातें हैं।
घरके अंदर जो इतने हैं,
फिरभी उनको हम क्यों चुनते हैं।
धोका उनसे हम खातें हैं,
पर उनको ही हम चुनते हैं,
इसलिए
दस लोगो मैं इतना दम था,
मेरे मुल्क को ललकारा था।
मेरे मुल्क को ललकारा थे।
सीना इसका छलनी करके,
भाग जाना इरादा था।
पर जीता वह जज़्बा था,
कामयाबी जीसका नारा था।
बाहरसे दस आए थे,
पर देश मैं बहुत सारे हैं।
रोज़ हमे ललकारे हैं,
छलनी सीना कर जातें हैं।
सच्च बोलूँ तोह मारे हैं,
अलग भाषा बोलूँ तोह मारे हैं।
जात पात के नामसे,
देश को वोह बाट रहें।
सरहद पारसे दस आयेंगे,
यह सोच हम घबरातें हैं।
घरके अंदर जो इतने हैं,
फिरभी उनको हम क्यों चुनते हैं।
धोका उनसे हम खातें हैं,
पर उनको ही हम चुनते हैं,
इसलिए
दस लोगो मैं इतना दम था,
मेरे मुल्क को ललकारा था।
6 comments:
Khayalat achhe hain...wartanee me zara adhik dhyan den to aur adhik pathneey hoga...jaise lalkara the...lalkara tha,hona chahiye!
Bura nahi mana?
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें
jai hind.narayan narayan
swagat,
bahut khub
gurmeet ji,
जीवन दर्शन की ये बातें ,मन मेरा बहलाती हैं
आपका स्वागत है ब्लागिंग में ,हवाएं गुनगुनाती हैं
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